पृत्वीराजके सामने महमूद गोरी जो खेल करता तह वही खेला खेलता है
और अपने मौके का इंतजारकर्ता हैं
केजरी जब हर तरह से फंस जाता है तो कोर्टमे माफ़ी माफ़ कर छूट जाता है वही उसका असली खेल है
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