शंकराचार्योंकी दुकाने खतरेमें ?
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इस देशमे सनातन धर्म को फैलाना उसकी रक्षा करना और उसमे समय
समय पर सशोंधन करना और हमारी परमपाऐ और रीतिरिवाज धर्मके
मुताबिक़ उसकी रक्षा करना और हमारी प्राचीन संस्कृतिको बचाये रखना
और आने वाली नै पेढीको ये सभी पढ़ाना ये उनका धर्म रहताहै नहीं की
अपनी अपनी दुकाने चलाना और उस पर वंश परम्परागत अपने अनुयायी
बनाके उसपर हमेशा के लिए कब्जाकरना ये उनकी मनोकामना होती है
धर्मको फैलाना और सनातन धर्मको दुनियामे लोगोको समजाना होता है
ये सभी चार शंकराचर्य को मई पूछना चाहता हु की आपने इस के बारेमे
जो मैंने ऊपर बताया इसका कितना पालन किया है ? आपने तो अपना
खुदका महत्व अस्तित्व और अपनी पम्परागत शायबी भुगतने का काम
किया है , धर्म हमें सिखाता है समय आने पर अपना रक्षण कनाचाहिए
अगर शश्त्र भी उठाना पड़े तो धर्मके लिए उठान होता है आपने कहा और
किस जगह ये काम किया है ? हमारे सभी देवी देवताओंके पास शश्त्र और
शाश्त्र दोनों है जब भी जिसकी जरूरत पड़े उसको उठान आहोता है
मई पूछता हु की आपने ये काम किया है ? ५०० बरसोंसे अयोध्यामे रामको
अपना घर दिलाने में आपका कितना योगदान है ? सरकारों निति नियमो
को आपने कोर्टमे कहा कहा चेलेंज किया है ? और रामके घरके लिए
आप कोर्टमे कितनी कितनी दफे गिर और अपना बयान दर्ज कराया ?
आज जब मोदीजीने अपनी नेतागिरी ,चातुरी ,अपनी निष्ठासे अपनी
सनातन धर्मके प्रति जिम्मेदारी निभाई है तो आपको क्यों दर्द होता है
आपकी दुकानोकी आपके व्यवहारोकि आपके निति रीती योकि पोल
खुल जानेका डॉ है या आपका महत्त्व कम होनेका डॉ लगता है ? या
आपकी दुकाने खतरेमें अनेकी आशंका लगती है ? जो आप विधर्मीयोंके
बहकावमे आ गए हो ? हमें तो डर लगता है के आपको हम कैसे
समझाए आप विद्वान लोगको हो हम एक मामूली इंसान है हमारी
नासमझी हो शक्ति है लेकिन आपका ये व्यवहार हमे दर्द देता है
राम मंदिर व् रामके घरकी प्राण प्रतिष्ठा के लिए आपको समजाना
नहीं होता है और आप अपनी कोई प्रतिष्ठा का सवाल न करे उसीमे
आपकी महानता है ज्यादा लिखना आपकी प्रतिष्ठा के खिलाफ है
जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम , जय जय श्रीराम
===प्रहलादभाई प्रजापति ,,,, ११ /१/२०२४
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