सुप्रीम कोर्ट मुन्नीबाई और मुन्नाभाई का कोठा बन गया लगता है ?
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जनताके टेक्स के पैसे पर नभने वाले ऐयासी खोर हो गए है उनको बँगला
गाडी नौकर चाकर सभी सुविधाएं पगारके अलावा क्यों दी जाती है ये एक
बड़ा सवाल हो गया है दिवाली ,नाताल गर्मीकी लम्बी लम्बी छुट्टियों ऐशो आराम
की जिनगी बसर करनेवाले न्यायाधीश आम आदमीके टेक्षो पर पलते है और
आम आदमी एक बेचारा बनके अपनी गरीबी महि जिंदगी काटता है उसको
न्याय लेनेके लिए अपना घर बार ,जमीं जायदात जेवरात दे दागिना बेचना पड़ता है
फिर भी १०-२० साल तक कोर्टके चक्कर लगाया करता है पढ़ी दर पढ़ी उसकी
कोर्टके चक्क्रमे ही ख़तम हो जाती है फिर भी उसको न्याय नहीं मिलता ?
ये न्यायपालिका के जाजोके भाई भतीजा मामा काका, साला शाली ,जो उनके
रिश्ते दार है उनको ही जज में नियुक्ति करते कराते है ,फिर वो नियुक्त किये
जजके काबिलहो या नहो सिर्फ रिस्तेदारी ही उनकी लायकात होती है , और ऐसे वैसे जुडजआमआदमीके न्याय करते है ,,मेरा खुदका अनुभव है की मई २३-२४ सालसे केसलड़ता हु अभी भी मुझे न्याय नहीं मिला है ,डेट -पर डेट का सामना ही कर रहा हु
श्याद मुझे न्याय मिलते मिलते मेरी मौत आएगी ,लेकिन कोई अब तज कोई ऐसा
अनसार नहीं मिल रहा ,और मेरे धन धीरज और धक्के खानेकी हिमत अब नहीं
रही है मई न्याय के लिए तड़पता हु और अपने जुडज और वकील डेट पर डेट की
संता कुकड़ी खेल रहे है ,मेरे जैसे देश के कई लोग न्याय के लिए तड़पे जा रहर है
और यहां न्यायपालिकामे कोलेजियम सिस्टियम कायम करनेके लिए और देश पर
कब्जा कएनेको हमारे जुडज साहब हर तरहकी कोशिशे करते है नए नए तर्क
लेके देशको उनकी मुठ्ठीमे रखनेकी कोशिश करते है ,संसद और लोकशाभा में
हिंदुस्तानकी जनताने चुने हुए लोग और राष्टपति उपराष्ट्रपति सभी को ये लोग
दरकिनार करनेमे लगे है इस देश में वो ही सुप्रीम है वैसा उनका खेल रचा रहे है
आम जनता का खून चूस रहे है ऐसा मेरा आरोप है ,ये लोग देशके प्रधान मंत्री
कानून मंत्री ,राष्ट्रपति ,उपराष्ट्र पति को उनके अनुसार वहीवट करनेकी चेस्टा
करते करवाते है न्याय पालिका स्वायत संथा होनेसे देशके लोगोसे ऊपर नहीं है
लोगो द्वारा चुने गए लोगोके अन्डरमे ही उनको रहनेको सविधान कहता है
ये मेरा निजी मानना है मुझे माफ़ करना अगर इसमें किसीको आहत हुई है तो
===प्रहलादभाई प्रजापति ,,,,, १३ /१२ /२०२२
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