Thursday, 24 November 2022

 भारत देशकी आम जनताको अब न्यायपालिका के बंधनसे भगवन ही बचाएंगे ?

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अब देशका राष्टपति भी सुप्रीम कोर्ट  तय करेगा  ?

देशका पीएम  भी सुप्रीमकोर्ट तय करेगा ?

देश के सचिव व्यवस्थापक भी सुपरिम कोर्ट तय करेगा ?

देशके राज्योंमे सीएम  भी सुप्रीम कोर्ट तय करेगा ?

अरे गावोके सरपंच भी शयद सुप्रीम कोर्ट तय करेगा ?

अरे यभी हो शकता है की स्कूल कॉलेज के शिक्षक प्रोफेसर्स प्रिंसिपल की नियुक्तियोमे भी उनकी राह जरुरी हो शक्ति है ?

जब हिंदुओंके त्योंहारोकि सीमाए तय के शकते है ,जैसेकि जन्माष्टीमे हैंडीकी 

ऊंचाई कितनी रखनेकी ,? दीवालीपे फटाके जलाने या नहीं जलाने ,नवरात्रिमें कितने 

बजे तक गरबा खेलनेका ,मंदिरोंमें लेडीज़ को जानाचाहिके नहीं  वो भी उनके कहने 

पर होगा ? अब तो इलेक्शन कमिशन के कमिश्नर को भी वो हरी झंडी देंगे ? 

उनकी न्याय पालिकाके जाजोको वो लोग ही नक्की करेंगे ,की किसका बेटा ,भतीजा ,

मामा ,चाचा , का लड़का। ,भाई ,भतीजा को जज कहा पर रखना सभी निति नियम 

वो खुद ही तय करेंगे , जज का बेटा जज बनानाही चाहिए ,और वो सभी नियम कानून वो ही नक्की करेंगे ?उनकी सुख सुविधाए , छुट्टियों ,हक़ , में कोई कमी न आये वो सभी सुख शायबी बरकरा रहनेकी उनकी मन मानी के मुताबिक़ होनेकी ?

आम आदमी कितने  न्यायके लिए पढ़ी दर पढ़ी कोर्टके चक्कर काटते मर जाए 

उनकी कोई परवाह ही नहीं ,लेकिन  नागरिको के टेक्स के पैसोसे उनकी ऐयासियो 

चलनी ही चाहिए वो उनका विशेश अधिकार होना चाहिए ? अब इस देश के लोगोको 

सिर्फ भगवान ही बचा पायेगा ऐसा मेरा मानना है 

देश की सिक्युरिटी उनके कंट्रोमे होनी चाहिए ? वो भी ये लोग तय करेंगे ?

अभ देश में चुनवोकि जरूरत होगी यां नहीं होगी  वो सोचनेका वक्त आया है ?

===प्रहलादभाई प्रजापति ,,,२५ /११/२०२२ 

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