न्यायमें तुष्टिकरण जब मिटेगा तब देशकी ५० % समस्याये अपने आप ख़तम हो जायेगी
================ भाई भतीजा वाद और वंश परम्परागत वाली न्याय उच्च पालिका में तुष्टिकरण की निति से देशकी समस्याओंका निकाल नहीं होता है और भस्टाचार का बढ़ावा होता है किसीभी माफ़ियाको कोई डर नहीं लगता है पैसे देकर न्यायको खरीद
लेता है आम जनताको कई न्याय मिलनेमे दिक्क़ते आती है और पढ़ी डर पढ़ी
भटकता रहता है ऐसे कई उदारण है तीस्ता सेतलवाड़का केस ,दिलहीमे नकली
किसानोंका खेल ,शाहीन बाग़ का केस बड़े बड़े निताओंका बेल का खेल केजरी
जैसे नक्स्लवादियोका खेल वामपंथियोका खेल लहेरु खानदानके खेल बड़े बड़े
वंषवादियोका खेल जिनको न्यायका डर ही नहीं लगता बाहरी शक्तियोंका खेल
इन लोगोको न्यायका इन डायरक्ट स्पॉरट मिलता रहता है जिस से देशमे अराजकता
फैलती रहती है बहन बेटियोंका रेप अपहरण ज़िंदा जलानेका
और मर्डरका किस्सा बनता रहता है बड़ी बड़ी फाइनांसियल लूट का किस्सा बनता
रहता है जमींन जायदात हडपनेका सिलसिला देशमे बड़े बड़े राजनेता
करते रहते है उनको आपराधिक जाहिर करनेके बाद भी ऐयासीमें रहते है
और शारीरिक समस्या बताके हॉस्पीटलोमे ५ स्टार सेवाएं भुगतते रहते है
ये सभीके लिए न्यायपालिका दोषी लगती है अंग्रेजोंका बनाया कानूनकी
त्रुटियों की मजा लेते है उसमे न्ययाधिसोका रोल अधिकतम लगता है
===प्रहलादभाई प्रजापति ,,,,,,,,११/११/२०३४
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