हिन्दुस्तानी न्यायतंत्रमे कोलेजियम सिस्टिम लोकशाहिमे परम्परागत वारशाई राजाशाही
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राजाशाहिका भूत इस देश की ज़ड़ोंमे घुस गया है जजिस को उनका ईगो और एक हथु राज चलानेको उनकी वंश परम्परागत मालिकाना हक़ और कानूनके
जरिये देश पर और देशके लोगो पर हकूमत करनेका जलवा कायमी तौर पर
उनके हस्तक रखनेको कोलेजियम सिस्टिम अपनाया गया है उनके ही खानदानके कुछ परिवारमे न्याय तंत्रको बाँध के रखा है उसको कोलेजियम
सिस्टिम कहते है ,जजिसकी काबिलियत हो या नहो लेकिन उनके परिवारसे
कोई जज होना चाहिए तभी वो ये लाभ उठा शकता है देशके लोगोके टेक्सके
पैसो पर ऐशो आराम की जिंदगी बसर करते है वो भी दादागिरिसे वैसे तो कोर्टमे
कई कितनेही वकील उनसे ज्यादा काबिलियत वाले है उनसे कई गुना बुद्धिवाले
वकील है लेकिन उनके खांनदानसे जजिस नहोने से उनकी लायकात नहीं होती
आम तौर पर मि. लार्ड मीन्स भगवान् , उनको कुछ भी नही कहा जाता देश की
सामान्य जनताके टेक्सके पैसे पर पलने वाले ये लोग खानदानी राजा लोग होते है
उनके काम काज करनेके टाइम ,उनकी छुट्टियों ,उनके काम करनेके वर्किंग
आवर्स ,उनकी सुख शायबी ,उनके रखरखाव के खर्चे एक राजा जैसी होती है
और ये सभी ऐयासियो आमजनताके टेक्सके पैसे पर नभती है उनकी सलामती
भी देश के लोगोके आम्दानी पर नभती है और नया लरनेमे डेट पर डेट रखते है
सामान्य चपराशी की नियुक्ति पेपरमे खबर देनेके बाद एक्स्जाम होता है पास
होनेके बाद इंटरयु लेते है सभी सरीफिकेटे की जाँच परख होनेके बाद नियुक्ति
होती है पे जजिस को ऐसा कुछ भी नहीं होता कैसी राजाशाही है ? और वो भी
लोकशाही राजमे वाह लोकशाही वाह
===प्रहलादभाई प्रजापति ,,,,,१३ /४/२०२३
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